जलाओ दिये पर रहे ध्यान इतना, पढ़ें गोपाल दास नीरज की कविता
सृजन है अधूरा अगर विश्व भर में, कहीं भी किसी द्वार पर है उदासी, मनुजता नहीं पूर्ण तब तक बनेगी.
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