Sunday 19 August 2018

घुड़सवारों की कमी से जूझ रही है यूपी पुलिस, घोड़े 250 और घुड़सवार हैं 100

<p style="text-align: justify;"><strong>इलाहाबाद</strong>: यूपी की घुड़सवार पुलिस, कर्मचारियों की भारी कमी से जूझ रही है. पूरे प्रदेश में घुड़सवार पुलिस में करीब 100 सिपाहियों और मुख्य आरक्षियों के जिम्मे 250 घोड़े हैं. इस शाखा में पिछले 20 बरस से नई भर्ती नहीं हुई है और जनवरी तक इनमें से 10-12 कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने से स्थिति और भी गंभीर होने की आशंका है.</p> <p style="text-align: justify;">इलाहाबाद पुलिस लाइन स्थित आरआई माउंटेन पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, "प्रदेश में हमारी इकाइयों में करीब 250 घोड़े हैं, जबकि सिपाहियों और मुख्य आरक्षियों की संख्या लगभग 100 रह गई है. वर्ष 1998 से घुड़सवार पुलिस में नयी भर्ती नहीं हुई है." उन्होंने बताया कि दंगा, भगदड़ आदि की स्थिति में हालात को नियंत्रित करने में घुड़सवार पुलिस की अहम भूमिका रहती है और घुड़सवारी हर पुलिसकर्मी नहीं कर सकता क्योंकि इसके लिए खास तरह के प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है. घुड़सवार पुलिस शाखा में वर्ष 1998 में पीएसी से 36 जवान लिए गए थे, जिनसे अभी तक जैसे तैसे काम चल रहा है.</p> <p style="text-align: justify;">पुलिस लाइन के अधिकारी ने बताया कि अगले वर्ष लगने वाले प्रयाग कुंभ मेले के लिए करीब 150 घोड़ों की मांग की जा रही है. अभी पुलिस लाइन में 23 घोड़े हैं, जबकि कर्मचारियों की संख्या मात्र आठ है. इलाहाबाद और सीतापुर में रिजर्व इंस्पेक्टर का भी पद रिक्त पड़ा है.</p> <p style="text-align: justify;">उन्होंने बताया कि इलाहाबाद में घुड़सवार पुलिस के लिए 25 सिपाही, 5 हेड कांस्टेबल और 1 रिजर्व इंस्पेक्टर सहित कुल 31 पद हैं. घुड़सवार पुलिसकर्मियों को भीमराव अंबेडकर पुलिस अकादमी, मुरादाबाद में घुड़सवारी का प्रशिक्षण दिया जाता है.</p> <p style="text-align: justify;">अधिकारी ने बताया कि घुड़सवार पुलिस में मौजूद घोड़ों की नस्लों में 10-12 काठियावाड़, 5-6 देसी नस्ल और बाकी डुप्लीकेट थैरो नस्ल के घोड़े शामिल हैं. इन घोड़ों की खरीद पंजाब और हरियाणा से की जाती है. मुरादाबाद में एक अरबी घोड़ा भी है जो बूढ़ा हो चला है। हालांकि इस घोड़े की नीलामी नहीं की जा रही है.</p> <p style="text-align: justify;">उन्होंने सुझाव दिया कि यदि विभाग, घुड़सवारी सीखने के इच्छुक बाहरी लोगों को प्रशिक्षण उपलब्ध कराए तो इससे संसाधनों का सृजन होगा और घोड़ों के रखरखाव पर आने वाले खर्च की थोड़ी भरपाई हो सकेगी.</p>

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