Friday 20 July 2018

“गीत उन्मन है, ग़ज़ल चुप है, रुबाई है दुखी, ऐसे माहौल में नीरज को बुलाया जाए” - - गोपाल दास ‘नीरज’

पद्म भूषण से 19 जुलाई 2018 की शाम लगभग 8 बजे नीरज इस फानी दुनिया को अलविदा कह गए. उनकी स्‍मृति में पेश से उनकी यह कविता- “एक मजहब ऐसा भी.”

from Latest News लाइफ़ News18 हिंदी https://ift.tt/2uOsbY8

Labels: ,

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home