“और हम डरे-डरे नीर नैन में भरे, ओढ़कर कफ़न पड़े मज़ार देखते रहे” - गोपाल दास ‘नीरज’
पद्म भूषण से 19 जुलाई 2018 की शाम लगभग 8 बजे नीरज इस फानी दुनिया को अलविदा कह गए. उनकी स्मृति में पेश से उनकी यह कविता- “कारवां गुजर गया.”
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