ये 5 वीडियो देखिए, शायद दुख से उभरने में मदद मिले
दुख, निराशा, शोक हमारे जीवन के वैसे ही स्थायी भाव हैं जितना की सुख और खुशी. लेकिन फिर भी ऐसा क्या है कि हम दुख को अंदर दबाकर रखना बेहतर समझते हैं. अगर दुख के बारे में खुलकर बात की जाए तो शायद दुख, इतना दर्द न पहुंचा पाए.
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