Saturday 19 September 2020

Meer Shayari: नाज़ुकी उस के लब की क्या कहिए, पुण्यतिथि पर करें मीर को याद

मीर तक़ी 'मीर' के शेर और शायरी (Meer Taqi Meer Shayari): आज 'खुदा-ए-सुख़न' यानी कि शायरी के खुदा मीर तक़ी 'मीर' की पुण्यतिथि (Death Anniversary) है. ऐसा कहा जाता है कि मिर्ज़ा ग़ालिब (Ghalib) ने एक बार एक फकीर से मीर की एक नज्म सुनी तो उनके मुंह से बरबस ही निकला, 'रेख्ते के तुम ही नहीं हो उस्ताद ग़ालिब, कहते हैं पिछले ज़माने में कोई मीर भी था.'

from Latest News लाइफ़ News18 हिंदी https://ift.tt/2ZSfrQI

Labels: ,

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home