राहत इंदौरी की किताब 'मेरे बाद': हमारे पांव का कांटा हमीं से निकलेगा
राहत इन्दौरी की शायरी (Rahat Indori Shayari) : मैं अपना अज़्म लेकर मंजि़लों की सम्त निकला था, मशक्कत हाथ पे रक्खी थी, क़िस्मत घर पे रक्खी थी...
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