कब लोगों ने अल्फ़ाज़ के पत्थर नहीं फेंके, पढ़ें अख़्तर नाज़्मी की शायरी
अख़्तर नाज़्मी की शायरी (Akhtar Nazmi Shayari And Gazals): दिल बेचारा सीधा सादा, ख़ुद रूठे ख़ुद मान भी जाए...
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