मौत आई इश्क़ में तो हमें नींद आ गई, पढ़ें अकबर इलाहाबादी की शायरी और शेर
अकबर इलाहाबादी की शायरी (Akbar Allahabadi Shayari): दुनिया में हूं दुनिया का तलबगार नहीं हूं,बाज़ार से गुज़रा हूं ख़रीदार नहीं हूं...
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