क्यों तुम आसान समझते थे मुहब्बत मेरी? पढ़ें अमीर मीनाई की रोमांटिक शायरी
अमीर मीनाई के शेर आयर शायरी (Amir Meenai Shayari ): सरकती जाये है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता-आहिस्ता, निकलता आ रहा है आफ़ताब आहिस्ता-आहिस्ता...
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