Friday 24 January 2020

किस्सागोई: किसी फिल्म की कहानी की तरह है मधुर भंडारकर की असल जिंदगी

"मुझे अपने बचपन के वो दिन बिल्कुल अच्छी तरह याद हैं कि जब पिता जी के घर में घुसने पर उनकी चाल से, उनकी बॉडी लैंग्वेज से हमें ये पता चल जाता था कि आज हम लोगों को खाना मिलेगा या नहीं."

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