Friday 18 January 2019

#Human Story: मैं पढ़ना चाहती हूं लेकिन बेबस हूं... मां के पास जहर के लिए भी पैसे नहीं हैं

मेरे जीवन का गलियारा बहुत तंग है. अंधेरे के आगोश में हूं मैं. और अंधेरा है कि खत्म ही नहीं होता. जिंदगी घिसट-घिसट कर चल रही है. अपनी ही परछाई को पकड़ने की कोशिश करती हूं लेकिन हाथ नहीं आती. दरअसल मैं दिव्यांग हूं. उस मां की बेटी, जिसके चारों बच्चें दिव्यांग हैं.

from Latest News लाइफ़ News18 हिंदी http://bit.ly/2RBeIBa

Labels: ,

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home