Friday 14 December 2018

Human Story : "ड्राइवरी से पापा के काले पड़ चुके हाथ नहीं देख सकता था"

18 साल के सुखविंदर सिंह ने जब से होश संभाला, उन्हें कुछ दिखा तो बस दिन रात मेहनत करते अपने मम्मी पापा. कहीं ड्राइवर का बेटा ड्राइवर ही न बन जाए, इस सोच के साथ सुखविंदर के माता-पिता ने उसकी पढ़ाई में अपना सब कुछ लगा दिया. और अब सुखविंदर अपने मम्मी पापा की पेंडिंग पड़ी खुशियों को उन तक पहुंचाने के लिए तैयार है.

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