Thursday 6 September 2018

अमेरिकी अखबार NYT का दावा- पाकिस्तान गुपचुप करना चाहता है शांति वार्ता, भारत ने नहीं दिखाई दिलचस्पी

<p style="text-align: justify;"><strong>इस्लामाबाद:</strong> अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ने से परेशान पाकिस्तान अपनी कमजोर होती अर्थव्यवस्था की मार झेल रहा है. अपनी ऐसी स्थिति से परेशान ये देश आजकल अपने पड़ोसी देशों से संबंध सुधारने के लिए प्रयास करता नज़र रहा है और इसके लिए उसने अमेरिका की मदद मांगी है. अमेरिकी मीडिया न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी एक ख़बर के मुताबिक पाकिस्तानी सेना के कुछ उच्चाधिकारी भारत के साथ शांति वार्ता की पहल करना चाहते हैं जिसके लिए उन्होंने अमेरिका से मदद मांगी है. हालांकि, न्यूयॉर्क टाइम्स के इस दावे पर भारत ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है.</p> <p style="text-align: justify;">पाकिस्तान के जनरल कमर जावेद बाजवा चुनावों से पहले भारत के साथ बातचीत के लिए प्रयासरत थे. इसी कड़ी में पाकिस्तान कश्मीर के सीमा विवाद को लेकर भी बातचीत के लिए तैयार हुआ था. लेकिन 2016 में हुए उरी आतंकी हमले के बाद से ही बातचीत बंद पड़ी है. भारत से बातचीत आगे बढ़ाने के पीछे पाकिस्तान का उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार को फिर से गति देना है, जिससे भारत के स्थानीय बाजारों तक पाकिस्तान अपनी पहुंच बना सके.</p> <p style="text-align: justify;">जनरल बाजवा ने पिछले साल अक्टूबर में अपने एक भाषण में बिगड़ती अर्थव्यवस्था को देश की सुरक्षा के लिए खतरे का कारण माना था. तब से पाकिस्तान अपनी अर्थव्यवस्था को लेकर गंभीर हो गाया है. पाकिस्तान आजकल बाजवा के इसी सिद्धांत को लेकर आगे बढ़ रहा है. पाक की सेना का मानना हैं कि खराब अर्थव्यवस्था आंतरिक विद्रोह को जन्म देती है.</p> <p style="text-align: justify;">आपको बता दें कि बीआरआई के तहत पाकिस्तान को चीन से खरबों डॉलर का निवेश मिला है, लेकिन बुरी तरह से कर्ज में डूबे इस देश के लिए ये निवेश काफी नहीं है. इसकी वजह से अब अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से 9 अरब डॉलर की मदद लेने की तैयारी हो रही है. इसी संबंध में पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा, "हम आगे बढ़ना चाहते हैं और हम भारत समेत अपने सभी पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध बनाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं."</p> <p style="text-align: justify;">पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने इस साल कहा था कि दोनों देशों के बीच के संघर्ष को हल करने का एकमात्र तरीका बातचीत ही है. राजनयिकों का कहना है कि पाकिस्तानी जनरल और उनके समकक्ष भारतीय जनरल बिपिन रावत एक दशक पहले कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति कार्य मिशन में एक साथ काम भी कर चुके हैं, लेकिन अब दोनों के बीच संबंध पहले जैसे नहीं रहे है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>आतंक और बातचीत साथ-साथ नहीं</strong> आपको बता दें कि उरी में पाकिस्तानी आतंकी हमले के बाद से ही भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत बंद है. भारत ने इस आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक किया था जिसकी वजह से पाकिस्तान सरकार को अपने लोगों के बीच काफी किरकिरी झेलनी पड़ी थी. इसी के बाद से भारत ने बातचीत को लेकर अपना स्टैंड साफ कर दिया है और कहा है कि आतंक और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते.</p> <p style="text-align: justify;">हालांकि, भारत-पाक के बीच वापस से टीयर- 2 के स्तर की बातचीत पटरी पर लौट रही है. लेकिन इसे गुपचुप तरीके से किया जा रहा है. वहीं, ख़बर ये भी है कि पाकिस्तानी सेना ने भारत की ओर बातचीत और शांति के लिए आग्रह से भरा हाथ बढ़ाया है.</p> <p style="text-align: justify;">एटम बम से लैस दोनों मुल्कों ने अब तक चार जंगे लड़ी हैं जिसके केंद्र में कश्मीर समेत अन्य वजहें रही हैं लेकिन इन जंगों से कुछ हासिल नहीं हुआ और बातचीत ही दोनों देशों के बीच के मसलों का हल नज़र आती है. लेकिन इसमें सबसे बड़ा रोड़ पाकिस्तानी आतंकी हैं जो हमेशा बातचीत को पटरी से उतार देते हैं.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>ये भी देखें</strong></p> <p style="text-align: justify;">घंटी बजाओ: सरकारी स्कूलों में अब तक क्यों नहीं किताबें बांट पाई है नीतीश सरकार?<code><iframe class="vidfyVideo" style="border: 0px;" src="https://ift.tt/2oJ1h17" width="631" height="381" scrolling="no"></iframe></code></p>

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