Sunday 9 September 2018

BLOG: जब रन बनते नहीं तो लुटाती क्यों है टीम इंडिया?

<strong>ओवल टेस्ट के पहले दिन जब इंग्लैंड ने सिर्फ एक विकेट पर सवा सौ से ज्यादा रन जोड़ लिए थे तो लगा कि ये टेस्ट मैच तो पहले दिन से ही इंग्लैंड की झोली में चला गया है. फिर भारतीय गेंदबाजों ने मैच में वापसी की. करीब पचास रन के भीतर भीतर 6 विकेट गिरे. दिन का खेल खत्म हुआ तो इंग्लैंड का स्कोर था- 198 रन पर 7 विकेट.</strong> भारतीय क्रिकेट फैंस को लगा कि जीत हार किसी को मिले लेकिन एक बार फिर रोमांचक मैच देखने को मिलेगा. उनकी इस उम्मीद पर भी अगली सुबह पानी फिर गया. इंग्लैंड के पुछल्ले बल्लेबाजों ने टीम का स्कोर 332 रनों तक पहुंचा दिया. वो भी तब जब मैच की दूसरी सुबह जसप्रीत बुमराह ने आदिल रशीद के तौर पर इंग्लैंड का एक विकेट जल्दी झटक लिया था. असली कहानी इसके बाद ही शुरू हुई. स्टुअर्ट ब्रॉड और जोस बटलर ने भारतीय गेंदबाजी के पसीने निकाल दिए. दोनों ने मिलकर स्कोरबोर्ड पर 300 रन के पार का स्कोर पहुंचा दिया. अंत में जब स्टुअर्ट ब्रॉड आउट हुए तो इंग्लैंड का स्कोर था- 312 रन. इसके बाद आखिरी विकेट के लिए भी इंग्लैंड ने बीस रनों की साझेदारी की. जिस सीरीज में हार जीत का फैसला 31 रन से हुआ हो उस सीरीज में एक एक रन की कीमत क्या होती है ये बताने की जरूरत विराट कोहली को नहीं है. बावजूद इसके वो रणनीति के मामले में ‘शून्य’ पर दिखाई दिए. <strong>विराट कोहली ने डिफेंसिव कप्तानी क्यों की</strong> मैच के दूसरे दिन विराट कोहली ने तेज गेंदबाज थके हुए थे. सभी ने लगभग लगभग बराबर गेंदबाजी की थी. रवींद्र जडेजा सीरीज का पहला मैच खेल रहे थे. पहले दिन के खेल में उन्होंने दो विकेट भी लिए थे. जिसमें कीटॉन जेनिंग्स और बेन स्टोक्स शामिल थे. दूसरे दिन जब कप्तान कोहली ने उन्हें गेंद दी तो उनके लिए अजीब सा फील्ड प्लेसमेंट किया गया था. ऐसा लग ही नहीं रहा था कि भारतीय टीम आखिरी बल्लेबाजों को आउट करने के लिए गेंदबाजी कर रही है. शुरूआत में रवींद्र जडेजा सिर्फ एक स्लिप लेकर गेंदबाजी कर रहे थे. इसके अलावा कोई भी क्लोजिंग फील्डर पुछल्ले बल्लेबाजों पर दबाव बनाने के लिए नहीं था. <a href="https://static.abplive.in/wp-content/uploads/sites/2/2018/09/09121236/000_18Y20Z.jpg"><img class="alignnone wp-image-959893 size-full" src="https://ift.tt/2MYSZRq" alt="" width="768" height="506" /></a> इसकी वजह से ही बल्लेबाजों को मनमाफिक शॉट्स खेलने का मौका मिला. साथ ही उनमें क्रीज पर टिकने का आत्मविश्वास भी आया. विराट कोहली शायद ओवल टेस्ट को आईपीएल का मैच समझ कर रन बचाने की रणनीति पर काम कर रहे थे. आखिरकार दोनों विकेट रवींद्र जडेजा ने ही लिए. स्टुअर्ट ब्रॉड का शानदार कैच केएल राहुल ने पकड़ा और शतक बनाने की बेचैनी में जोस बटलर ने अजिंक्य रहाणे को कैच थमा दिया. अगर इंग्लैंड के पुछल्ले बल्लेबाजों को क्लोजिंग फील्डर्स के दबाव में लेकर रवींद्र जडेजा ने गेंदबाजी की होती तो निश्चित तौर पर उन्हें कामयाबी पहले मिल जाती. तेज गेंदबाज़ों ने बाउंसर नहीं फेंकी। यॉर्कर गेंदे नहीं डाली गईं. गेंदबाज़ों को उनकी कमियाँ बताने के लिए बॉलिंग कोच बाउंड्री पर नज़र नहीं आए. आम तौर पर बॉलिंग कोच बाउंड्री लाइन पर गेंदबाज़ों से बातचीत करता रहता है. ये सबकुछ होता रहा और विराट चुपचाप देखते रहे. <strong>अब टेस्ट मैच का क्या होगा   </strong> इस सीरीज में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब इंग्लैंड के पुछल्ले बल्लेबाजों ने बड़े कीमती रन जोड़े हों. सैम करन इस सीरीज के दो टेस्ट मैचों में अहम पारी खेलकर भारतीय टीम को हार की तरफ ढकेल चुके हैं. फिलहाल भारतीय टीम 6 विकेट पर 174 रन ही बना पाई है. इंग्लैंड के पास अब भी 158 रनों की बढ़त है. फिलहाल इस टेस्ट मैच में इंग्लैंड का पलड़ा काफी भारी है. भारतीय टीम की तरफ से क्रीज पर अभी रवींद्र जडेजा और हनुमा विहारी हैं. रवींद्र जडेजा सीरीज का पहला टेस्ट मैच खेल रहे हैं. हनुमा विहारी अपने करियर का पहला टेस्ट मैच खेल रहे हैं. खुद को साबित करने की भूख अगर इनसे कुछ खास करा ले गई तो ठीक है वरना तीसरे दिन के खेल के पहले घंटे में ही इंग्लैंड की टीम भारतीय बल्लेबाजी का बोरिया बिस्तर समेट देगी. क्योंकि भले ही भारतीय तेज गेंदबाजों ने इस पूरी सीरीज में शानदार प्रदर्शन किया है लेकिन जिस जगह पर वो चूके हैं वो है बल्लेबाजी. इस बात की उम्मीद कम ही लगती है वो कोई कमाल कर पाएंगे. एक बार फिर चौथी पारी में करीब चार सौ रनों के लक्ष्य के सामने भारतीय टीम को लड़खड़ाते देखने के लिए तैयार रहिए क्योंकि ज्यादा संभावना इसी बात की है.

from home https://ift.tt/2wYpfZV

Labels: ,

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home