Tuesday 11 September 2018

यूपीए सरकार के लिए कर्ज की वजह से आज महंगा है पेट्रोल-डीजल? जानें क्या है सच

<p style="text-align: justify;"><strong>नई दिल्लीः</strong> पेट्रोल डीजल के बढ़ते दामों को लेकर कांग्रेस के भारत बंद का असर हर तरफ देखने को मिल रहा है. कांग्रेस इस भारत बंद के जरिए बीजेपी को कटघरे में खड़ा कर रही है तो अब बीजेपी समर्थक एक नए दावे के साथ सामने आए हैं. दावा किया जा रहा है कि पेट्रोल डीजल के बढ़ते दाम के पीछे कांग्रेस का ही हाथ है. दावा किया जा रहा है कि कांग्रेस सरकार के वक्त लिया गया कर्ज ही इस बढ़े दाम के पीछे की वजह है. आखिर सोनिया-मनमोहन के कर्ज लेने से मोदी राज में पहंगे पेट्रोल-डीजल का सच क्या है, यहां जानें..</p> <p style="text-align: justify;">सोशल मीडिया पर वायरल मैसेज के जरिए देश की जनता को पेट्रोल-डीजल महंगा होने की वजह बताई जा रही है. दावा हो रहा है कि पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ने के पीछे बीजेपी का नहीं कांग्रेस का हाथ है.</p> <p style="text-align: justify;"><a href="https://static.abplive.in/wp-content/uploads/sites/2/2018/09/10223331/vs-3.jpg"><img class="aligncenter wp-image-961096" src="https://ift.tt/2NuZESL" alt="" width="571" height="457" /></a></p> <p style="text-align: justify;"><strong>वायरल संदेश</strong> एक मैसेज के जरिए किए जा रहे दावे के मुताबिक कांग्रेस सरकार के वक्त पेट्रोल ऑयल बॉन्ड भरकर लिया गया था. उस वक्त पेट्रोल का दाम नहीं चुकाया गया था यही वजह है कि आज बीजेपी सरकार को वो पैसे ब्याज समेत चुकाने पड़ रहे हैं. कांग्रेस ने 1.44 लाख करोड़ का ऑयल बॉन्ड खरीदा था, जिसे बीजेपी सरकार ने चुकाया. इतना ही नहीं बीजेपी ने इस कीमत पर लगाए गए 70 हजार करोड़ रुपये का ब्याज भी भरा है. सत्ता में वापसी नहीं होने का भान लगते ही यूपीए सरकार ने 1.44 लाख करोड़ रुपये का तेल बॉन्ड कर्ज लेकर खरीद लिया जो बाद में भार स्वरूप मोदी सरकार के सिर पर आ पड़ा.</p> <p style="text-align: justify;"><code><iframe class="vidfyVideo" style="border: 0px;" src="https://ift.tt/2CMLsjM" width="631" height="381" scrolling="no"></iframe></code></p> <p style="text-align: justify;">वायरल मैसेज का मतलब है कि मनमोहन राज में कच्चा तेल खरीदने के लिए कर्ज लिया गया जिसे मोदी सरकार चुका रही है. तर्क ये भी दिए जा रहे हैं कि केंद्र सरकार पेट्रोल-डीजल पर जो सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी वसूल रही है वो इसलिए नहीं घटा पा रही है क्योंकि उसी से कर्ज चुकाया गया. अब ऐसे में सवाल है कि क्या यूपीए सरकार ने भविष्य में चुकाने वाला कर्ज यानी ऑयल बॉन्ड भरकर कच्चा तेल खरीदा था? क्या मोदी सरकार ने यूपीए सरकार की तरफ से लिया गया कर्ज चुकाया है? जब तेल के दाम बाजार से तय होते हैं तो कर्ज चुकाने से तेल के दाम घटने-बढ़ने के बीच क्या कोई सीधा संबंध है ?</p> <p style="text-align: justify;"><strong>सच की पड़ताल (यूपीए सरकार के दौरान ऑयल बॉन्ड)</strong> यूपीए सरकार ने साल 2007-08 में 35 हजार 290 करोड़ रुपये, 2008-09 में 71,292 करोड़ रुपये, 2009-10 में 26,000 करोड़ रुपये, 2010-11 में 41,000 करोड़ रुपये और 2012-13 में 83,500 करोड़ रुपये का ऑयल बॉन्ड खरीदा यानी यूपीए राज में दो लाख 57 हजार 82 करोड़ के ऑयल बॉन्ड खरीदे गए. लेकिन सवाल ये है कि सरकार ने क्या भविष्य में कर्ज के नाम जो ऑयल बॉन्ड खरीदे उसका पैसा चुकाया.</p> <p style="text-align: justify;">पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 26 जून को पटना में कहा था कि यूपीए सरकार के लिए दो लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज जिसमें 70 हजार करोड़ रुपये ब्याज के शामिल हैं एनडीए सरकार ने चुकाया है. सरकार का दावा है कि दो लाख करोड़ पुराना कर्ज चुकाना पड़ा और समर्थक कह रहे हैं कि इसी को चुकाने के लिए एक्साइज ड्यूटी कम नहीं की जा रही है. तो हमने ये जानने की कोशिश की कि सरकार ने चार साल में एक्साइज ड्यूटी से कितना कमाया.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>मोदी सरकार के दौरान लिए गए ऑयल बॉन्ड</strong> मोदी सरकार ने 2014-15 में 1.72 लाख करोड़ रुपये सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी से कमाए, 2015-16 में 2.53 लाख करोड़ रुपये, 2016-17 में 3.34 लाख करोड़ रुपये और 2017-18 में 3.43 लाख करोड़ रुपये कमाए. यानी चार साल में 11 लाख करोड़ रुपये की कमाई हुई. यानी सोनिया-मनमोहन के नेतृत्व वाली सरकार के तेल वाले कर्ज से पांच गुना ज्यादा कमाई तो मौजूदा सरकार की हो चुकी है.</p> <p style="text-align: justify;">फिर भी क्या सरकार ने पेट्रोल डीजल को सस्ता कर देने वाली सेंट्रल एक्साइज डयूटी इस लिए नही हटाई क्योंकि उसकी कमाई यूपीए सरकार का पेट्रोलियम कर्ज़ चुकाने में इस्तेमाल हो रहा था. इस सवाल का जवाब पेट्रोलियम मंत्रालय के आला अधिकारी रहे पूर्व सचिव टीएन राव ने दिया.</p> <p style="text-align: justify;">उन्होंने बताया कि हर सरकार टैक्स वसूल करती है और ये कंसोलिडेट फंड ऑफ इंडिया में जाता है ऐसा नहीं है कि एक्साइज ड्यूटी यहां जाए और कस्टम कहीं और. ये एक जगह आता है और संसद इसे अलग अलग योजनाओं के लिए बांटती है. कौनसा पैसा कहां जाता है इसकी सालाना मार्किंग नहीं होती है. मतलब साफ है कि पेट्रोल की कमाई से ही पेट्रोल का कर्ज चुकाया जाए ये जरूरी नहीं है.</p> <p style="text-align: justify;"><a href="https://static.abplive.in/wp-content/uploads/sites/2/2018/09/10223445/vs-6.jpg"><img class="aligncenter wp-image-961097" src="https://ift.tt/2NCRKHi" alt="" width="553" height="442" /></a></p> <p style="text-align: justify;"><strong>पड़ताल में सामने आया सच</strong> इसलिए हमारी पड़ताल में यूपीए सरकार के कर्ज लेने का दावा तो सच साबित हुआ लेकिन यूपीए सरकार ने कब और कितना कर्ज चुकाया ये जांच में साफ नहीं हो पाया. लिहाजा यूपीए सरकार के पेट्रोलियम कर्ज को चुकाने के चक्कर में मोदीराज में महंगे हुए पेट्रोल का सोशल मीडिया का दावा सरकारी आंकड़ों और एक्सपर्ट की राय में झूठा साबित हुआ है.</p> <p style="text-align: justify;"><a href="https://static.abplive.in/wp-content/uploads/sites/2/2018/09/10223515/vs-8.jpg"><img class="wp-image-961098" src="https://ift.tt/2CEn0Be" alt="" width="518" height="414" /></a></p>

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