Friday 14 September 2018

शिद्दत से महसूस करने लायक है 'मनमर्जियां', देखने से पहले जान लें ये बातें

<p style="text-align: justify;"><strong>मुंबई:</strong> क्या सेक्स को जेहन में लाये बगैर कोई किसी से प्यार करता है? क्या प्यार करने से पहले किसी लड़की या लड़के का मन पहले एक दूसरे के प्रति सेक्सुअली आकर्षित नहीं होता? क्या प्यार को हमेशा 'पाक', 'पवित्र' और 'दो आत्माओं के मिलन' जैसे तमाम घिसे-पिटे लफ्जों से आजाद नहीं किया जा सकता? कम से कम सिनेमा के पर्दे पर!</p> <p style="text-align: justify;">'मनमर्जियां' की लेखिका कनिका ढिल्लन और सिनेमा को हमेशा से अलग नजरिये से देखने और अपने अलहदा किस्म के सिनेमा से हमेशा एक नया नजरिया पेश करने की फिराक में रहनेवाले डायरेक्टर अनुराग कश्यप ने प्यार को 'फ्यार' में तब्दील कर बताया कि लव इज नथिंग विदाउट लस्ट.</p> <p style="text-align: justify;">हिंदी फिल्मों में अक्सर बेतुके ढंग से ग्लोरिफाई किये जानेवाले प्यार शब्द के आगे अंग्रेजी का अक्षर 'एफ' जोड़कर फिल्म बेबाकी से कहती है कि प्यार और सेक्स एक दूसरे के पूरक हैं और लड़की-लड़के के प्यार में सेक्स किस कदर अहम रोल अदा करता है- किसी को चाहने से लेकर किसी को पाने तक और फिर उसे कभी नहीं छोड़ने तक.</p> <p style="text-align: justify;">हिंदी सिनेमा की सबसे पावरफुल फीमेल किरदारों में से एक रूमी (तापसी पन्नू) का जीने और मन में जो आता है, उसे करने का उसका अंदाज इतना अलग है कि उसे देखकर लगता है कि हीरो की नजर से सबकुछ दिखाने की लत लगाये बैठे हमारे सिनेमाई कल्चर में हीरोइन के नजरिये को अक्सर इतने पुरजोर तरीके से पर्दे पर पेश क्यों नहीं किया जाता है?</p> <p style="text-align: justify;"><a href="https://static.abplive.in/wp-content/uploads/sites/2/2018/09/14115523/m1.jpg"><img class="aligncenter wp-image-964215 size-full" src="https://ift.tt/2Na0G7j" alt="" width="1280" height="720" /></a></p> <p style="text-align: justify;">रूमी का किरदार हमें खुद से बार बार ये सवाल पूछने पर मजबूर करता है कि अपने ही प्यार की ख्वाहिशों के बोझ से लदी कोई लड़की अपने ही तरीके से क्यों नहीं जी सकती है? क्यों वो डिसाइड नहीं कर सकती है कि उसे किससे प्यार करना है, शादी करनी भी या नहीं? जिस लड़के से वो प्यार करती है, उससे बिना शर्मिंदगी महसूस किये कितनी बार, कब, कहां सेक्स करना है?</p> <p style="text-align: justify;">रूमी एक गुस्सैल मगर खुद के लिए सोचनेवाली कोई आम लड़की नहीं है.रूमी उन लड़कियों में से जो अपने लिये सही-गलत फैसलों के लिए खुद को जिम्मेदार मानती है और खुद के साथ कुछ गलत हो न जाये, इसके लिए लड़ती है, खुद के लिए खड़ी होती है, समाज के दकियानूसी ख्यालों से परहेज करती है, बॉयफ्रेंड को सही रास्ते पर लाने के लिए उसे गरियाती है, उसे अपनी जिंदगी से बाहर फेंकने के लिए उसपर हाथ तक उठाती है.</p> <p style="text-align: justify;">रीमिक्स म्यूजिक के भरोसे अपनी जिंदगी की नैया पार लगाने की आस लिये और फंकी किस्म के हेयरस्टाइल रखने वाले डीजे विक्की (विक्की कौशल) एक ऐसे जुनूनी बॉयफ्रेंड हैं, जो रिमिक्स और रूमी से 'फ्यार' के अलावा कुछ नहीं सोचता, मगर अपनी जिंदगी को लेकर बेपरवाह से विक्की को नहीं पता कि उसे रूमी से शादी करनी भी है या नहीं. फिल्म का यही सबसे बड़ा फ्रिक्शन पॉइंट है और इसी मोड़ पर लंदन रिटर्न रॉबी (अभिषेक बच्चन) की एंट्री होती है.</p> <p style="text-align: justify;"><a href="https://static.abplive.in/wp-content/uploads/sites/2/2018/09/14115344/m2.jpg"><img class="aligncenter wp-image-964212 size-full" src="https://ift.tt/2MumKEI" alt="" width="706" height="437" /></a></p> <p style="text-align: justify;">अक्सर फिल्मों में लड़की से शादी के लिए लड़का तमाम तरह की कोशिशें करता है. यहां रूमी विक्की से शादी करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ती, विक्की रूमी से 'फ्यार' करना नहीं छोड़ता और रॉबी रूमी के अफेयर के बारे में सबकुछ जानने के बावजूद उससे शादी करने की आस नहीं छोड़ता. शादी इसलिए नहीं कि बस उसे शादी करनी है. एक ऐसी लड़की से करनी है जो 'घरेलू टाइप' न हो. और मनमौजी किस्म की रूमी पर जब उसकी नजर पड़ती है, तो हटती नहीं.</p> <p style="text-align: justify;">'मनमर्जियां' का प्रेम-त्रिकोण फिल्मों में सतही ढंग से परोसा जानेवाला प्रेम-त्रिकोण नहीं है. ये इतने गहरे स्तर पर सोचने को मजबूर करता है कि आपको प्यार, प्यार में सेक्सुअल आकर्षण, रिश्तों की जटिलताओं, फैसले लेने की अनिश्चतताओं और अपने ही लिये फैसले से बार बार मुकर जाने के द्वंद्व को हम वास्तविकता की जमीन पर एक नये नजरिये से देख पाते हैं. यही अनुराग कश्यप की इस फिल्म की सबसे बड़ी खासियत है.</p> <p style="text-align: justify;"><a href="https://static.abplive.in/wp-content/uploads/sites/2/2018/09/14115401/m-3.jpg"><img class="aligncenter wp-image-964214 size-full" src="https://ift.tt/2Nek1V6" alt="" width="759" height="422" /></a></p> <p style="text-align: justify;">अनुराग की लव टाएंगल 'देव डी' की तरह ही 'मनमर्जियां' भी म्यूजिकल है और इस फिल्म का संगीत भी अमित त्रिवेदी ने दिया है. और क्या संगीत दिया है ! शैली के लिखे गानों को अमित त्रिवेदी ने कनिका ढिल्लन की स्क्रिप्ट में कुछ ऐसा पिरोया है कि इन्हें सुनते हुए और इन गानों पर आंखों के सामने से गुजरते विजुअल्स पर यकीं नहीं होता है कि इस सिनेमाई लव स्टोरी में हम क्या कुछ देख रहे हैं. यहां अमित त्रिवेदी के म्यूजिकल स्कोर के लिए 'कमाल' शब्द छोटा जान पड़ता है.</p> <p style="text-align: justify;">विक्की और तापसी ने इस फिल्म से एक्टिंग के नये शिखर पर चढ़ने की कोशिश की है, तो अपने किरदार को अंडरप्ले करने की कोशिश करते अभिषेक की वापसी को नोटिसेबल कहा जा सकता है. ऐसा नहीं है कि 'मनमर्जियां' देखते हुए 'ऐसा क्यों होता है', 'उसने ऐसे क्यों किया', 'ऐसे थोड़े न होता' जैसी बातें आपके जेहन में नहीं आयेंगी. जरूर आयेंगी. फिल्म में कई तरह की खामियां नजर नहीं आयेंगी. जरूर आयेंगी. इसके लिए जरूरी है कि आप 'मनमर्जियां' देखें और उलझे रिश्ते से उपजी भावनाओं के इस उफान को शिद्दत से महसूस करें.</p> <code><iframe src="https://www.youtube.com/embed/ToxnuakJrqE" width="560" height="315" frameborder="0" allowfullscreen="allowfullscreen"></iframe></code>

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