Wednesday 19 September 2018

तीन तलाक पर मोदी सरकार लाई अध्यादेश, राज्यसभा वाला बिल ही कानून बनेगा

<p style="text-align: justify;"><strong>नई दिल्ली:</strong> मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से आजादी दिलाने के लिए मोदी सरकार ने बड़ा फैसला किया है. आज हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में तीन तलाक पर अध्यादेश को मंजूरी दे दी गई है. तीन तलाक विधेयक लोकसभा से पारित हो चुका है, लेकिन राज्यसभा में लंबित है. राष्ट्रपति की मुहर लगते ही तीन तलाक पर कानून पास हो जाएगा. संसद से बिल पारित होने से पहले 6 महीने तक अध्यादेश से काम चलेगा.</p> <p style="text-align: justify;">बता दें कि मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में आखिरी दिन जो बिल आया था उसे ही अध्यादेश के ज़रिए कानून बनाने को मंजूरी मिली गई है. पहले भी सरकार तीन तलाक पर अध्यादेश ही लाई थी जिसे लोकसभा से तो पास करवा लिया गया लेकिन राज्यसभा में ये अटक गया.</p> <p style="text-align: justify;">कैबिनेट के फैसले पर कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ''मोदी सरकार इसे मुस्लिमों के लिए न्याय का मुद्दा बनाने के बजाए राजनीतिक मुद्दा बना रही है.''</p> <code></code> <blockquote class="twitter-tweet" data-lang="en"> <p dir="ltr" lang="en">Modi government not making this an issue for justice for Muslim women, but making this into a political issue: Randeep Surjewala, Congress <a href="https://t.co/vBoV1BSQuQ">pic.twitter.com/vBoV1BSQuQ</a></p> — ANI (@ANI) <a href="https://twitter.com/ANI/status/1042305491932721152?ref_src=twsrc%5Etfw">September 19, 2018</a></blockquote> <p style="text-align: justify;"><strong>अब आगे क्या होगा?</strong> कोई कानून बनाने के दो तरीके होंते हैं, या तो उसे बिल के जरिए लोकसभा और राज्यसभा से पास करवाया जाए या फिर उस अध्यादेश लाया जाए. अध्यादेश पर राष्ट्रपति की मुहर लगते ही ये कानून बन जाता है. लेकिन यहां सरकार के सामने ये मुश्किल है कि यह अध्यादेश सिर्फ 6 महीने के लिए ही मान्य होता है. 6 महीने के भीतर इसे संसद से पास करवाना पड़ता है. यानी एक बार फिर सरकार के सामने इस बिल को लोकसभा और राज्यसभा से पास करवाने की चुनौती होगी.</p>

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