अलीगढ़: देश का पहला डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरीडोर लॉन्च, रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण और सीएम योगी भी रहे मौजूद
<strong>अलीगढ़:</strong> उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में आज देश का पहला डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरीडोर लॉन्च किया गया. रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने और निजी कंपनियों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से यूपी के अलीगढ़ सहित छह जिलों में इसकी शुरूआत की गई है. माना जा रहा है कि इससे प्रदेश में करीब 20 हजार करोड़ निवेश होगा और करीब ढाई लाख नए रोजगार पैदा होंगे. आज रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में डिफेंस कॉरीडोर की विधिवत शुरूआत हुई. इस मौके पर योगी आदित्यनाथ ने रक्षा मंत्री से अगले साल बेंगलुरू में होने वाले एयरो-शो को इसी साल नबम्बर में लखनऊ में आयोजित करने का आग्रह किया. इस मौके पर बोलते हुए योगी आदित्यनाथ ने भरोसा दिलाया कि वो निवेशकों को पूरी सुरक्षा प्रदान करेंगे और लालफीता शाही को कम कर निवेशकों का काम सरलतापूर्वक करेंगे. उन्होनें कहा कि करीब 16 महीने पहले जब उनकी सरकार बनी थी तो राज्य में असुरक्षा का माहौल था. रक्षा मंत्री की तारीफ करते हुए उन्होनें कहा वे देश की रक्षा की चिंता तो करती ही हैं साथ ही प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया कार्यक्रम को भी पूरा करने में जुटी हैं. इस मौके पर बोलते हुए निर्मला सीतारमण ने स्थानीय उद्यमियों का आहवान किया कि वे देश की सेनाओं के लिए तो सैन्य उपकरण तैयार करें ही साथ ही एक्सपोर्ट भी करें. आपको बता दें कि इस बजट में देश में दो डिफेंस कॉरीडोरबनाने की घोषणा की गई थी. एक उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में और दूसरा तमिलनाडु में. उत्तर प्रदेश में अलीगढ़ के साथ साथ आगरा, कानपुर, झांसी, चित्रकूट और लखनऊ में इसका विस्तार किया जायेगा. करीब 4 हजार हैक्टियर जमीन इसके लिए चिन्हित की गई है. अलीगढ़ में आज हुए समारोह में पब्लिक सेक्टर की कंपनी, एचएएल ने तेजस लड़ाकू विमाने को स्पेयर पार्टर्स यूपी कॉरीडोरमें बनाने के लिए 1200 करोड़ रूपये की घोषणा की. बुलेटप्रुफ जैकेट बनाने वाली प्राईवेट कंपनी,एमकेयू ने भी 900 करोड़ रूपये निवेश करने का ऐलान किया. इस दौरान डीआरडीओ ने अपनी तकनीक का भी हस्तांतरण किया. इस दौरान अलीगढ़ में लगी सैन्य-प्रदर्शनी में डीआरडीओ ने स्थानीय उद्यमियों को टेक्नोलोजी डिवलेपमेंट फंड स्कीम की जानकारी दी. इस फंड के जरिए सशस्त्र सेनाओं की जरूरतों के सैन्य उपकरणों के लिए निजी कंपनियों को वित्तीय सहायता दी जाती है. नब्बे प्रतिशत तक डीआरडीओ फंडिग करेगी और बाकी दस प्रतिशत कंपनियों को लगाना होगा.
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