Thursday 23 August 2018

#काम की बात : शादीशुदा हूं, लेकिन दूसरी स्त्रियों के बारे में सोचता हूं, क्‍या ये शर्मिंदगी की बात है

कल्‍पना या फैंटेसी बहुत स्‍वाभाविक है, इसमें शर्मिंदगी की कोई बात नहीं, लेकिन अपनी हर फैंटेसी को सच करने के बारे में सोचना भी जायज नहीं ठहराया जा सकता

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