Wednesday 4 July 2018

SC ने कहा- हर काम में LG की इजाजत जरूरी नहीं, केजरीवाल बोले- ये लोकतंत्र की जीत

<p style="text-align: justify;"><strong>नई दिल्ली</strong><strong>:</strong> दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच जारी अधिकारों की जंग को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अपना फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि दिल्ली में किसी का एकाधिकार नहीं है. एलजी दिल्ली के प्रशासक हैं लेकिन हर मामले में उनकी सहमति जरूरी नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली सरकार जनता के प्रति जवाबदेह है इसलिए एलजी उनके हर काम में बाधा नहीं डाल सकते. राज्य में अराजकता की कोई जगह नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ-साफ कहा कि दोनों तालमेल के साथ काम करें.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>कैबिनेट की सलाह-सहायता से काम करें एलजी- सुप्रीम कोर्ट</strong></p> <p style="text-align: justify;">सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘’कुछ मामलों को छोड़कर दिल्ली विधानसभा बाकी मसलों पर कानून बना सकती है. संसद का बनाया कानून सर्वोच्च है. एलजी दिल्ली कैबिनेट की सलाह और सहायता से काम करें.’’ इतना ही नहीं कोर्ट ने यह भी कहा है कि एलजी को दिल्ली सरकार के काम में बाधा नहीं डालनी चाहिए. हर काम में एलजी की सहमति अनिवार्य नहीं है.’’</p> <p style="text-align: justify;"><strong><a href="https://ift.tt/2lOR7L0" target="_blank" rel="noopener noreferrer">सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, LG पर भारी अरविंद केजरीवाल, पढ़ें फैसले की मुख्य बातें</a></strong></p> <p style="text-align: justify;"><strong>राष्ट्रपति के पास मामला भेज सकते हैं एलजी- सुप्रीम कोर्ट</strong></p> <p style="text-align: justify;">हालांकि, इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है, इसलिए यहां के राज्यपाल के अधिकार दूसरे राज्यों के गवर्नर से अलग है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘’दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं है. इसलिए यहां बाकी राज्यपालों से अलग स्थिति है.’’ कोर्ट ने कहा है कि अगर एलजी को दिल्ली कैबिनेट की राय मंजूर न हो तो वह सीथे राष्ट्रपति के पास मामला भेज सकते हैं. शक्तियों में समन्वय होना चाहिए. शक्तियां एक जगह केंद्रित नहीं हो सकती.’’</p> <p style="text-align: justify;"><strong>सरकार जनता के प्रति जवाबदेह है- सुप्रीम कोर्ट</strong></p> <p style="text-align: justify;">सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा है, ‘’लोकतांत्रिक मूल्य सर्वोच्च हैं. जनता के प्रति जवाबदेही सरकार की होनी चाहिए. संघीय ढांचे में राज्यों को भी स्वतंत्रता मिली हुई है. जनमत का महत्व बड़ा है. इसलिए तकनीकी पहलुओं में उलझाया नहीं जा सकता.’’</p> <p style="text-align: justify;">सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जनता और लोकतंत्र की जीत बताया है. केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा है, ‘’दिल्ली के लोगों की बड़ी जीत, लोकतंत्र के लिए भी ये बड़ी जीत है.’’</p> <code></code> <blockquote class="twitter-tweet" data-lang="en"> <p dir="ltr" lang="en">A big victory for the people of Delhi...a big victory for democracy...</p> — Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) <a href="https://twitter.com/ArvindKejriwal/status/1014387139583373313?ref_src=twsrc%5Etfw">July 4, 2018</a></blockquote>   <strong>बीजेपी ने अपनी जीत बताया</strong> बीजेपी के दिल्ली अध्यक्ष मनोज तिवारी ने फैसले का स्वागत किया है. उनका तर्क है कि कोर्ट ने सीएम और उप-राज्यपाल को संविधान सम्मत होना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज नहीं देने की बात कह कर सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को आईना दिखाया है. दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष ने आगे कहा कि केजरीवाल संविधान को नहीं मानते और सुप्रीम कोर्ट ने अराजक शब्द का इस्तेमाल करके  केजरीवाल के गाल पर तमाचा मारा है. <strong>वीडियो देखें-</strong> <code><iframe class="vidfyVideo" style="border: 0px;" src="https://ift.tt/2tTzq1s" width="631" height="381" scrolling="no"></iframe></code>

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