बिहार: मुजफ्फरपुर में मोबाइल चोरी के आरोप में पीट पीट कर की हत्या, गुस्साए लोगों जाम लगाया
<p style="text-align: justify;"><strong>नई दिल्ली:</strong> देश में भीड़ से पिटाई का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. बिहार के मुजफ्फरपुर में फिर एक युवक भीड़ के हत्थे चढ़ गया. मोबाइल चोरी के आरोप में एक शख्स को भीड़ ने तब तब पीटा जब तक उसकी मौत नहीं हो गई. मृतक के घरवालों का रो रोकर बुरा हाल है. पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है. लेकिन मुजफ्फरपुर की एसएसपी का बेहद गैरजिम्मेदाराना बयान भी सामने आया है. एसएसपी ने कहा कि मारे गए युवक पर पहले भी मोबाइल चुराने का आरोप लग चुका है. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि जांच के बाद आरोपियों पर कार्रवाई की जाएगी.</p> <p style="text-align: justify;">घटना से आक्रोशिति लोगों ने बैरिया बस स्टैंड रोड को जाम कर दिया और आगजनी कर प्रदर्शन करने लगे. इससे वाहनों की लंबी कतार लग गई. स्थानीय लोगों का आरोप है की घटना को जानबूझकर अंजाम दिया गया है. वहीं परिजनों ने भी आरोप लगाया कि छेड़छाड़ के पुराने विवाद में जानबूझकर हत्या की गई है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>गुजरात में भी मोबाइल चोरी के आरोप में हत्या</strong> गुजरात के दाहोद इलाके में दो युवकों को मोबाइल चोरी के आरोप ने भीड़ ने जमकर पीटा. एक युवक की मौके पर मौत हो गी तो दूसरा युवक अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहा है. मरने वाला आरोपी अजमेर मेहताल धानपुर तहसील के उंडारका रहने वाला था, जिस पर 32 मामले दर्ज थे. वहीं घायल युवक गरबाडा तहसील के खजुरिया गांव का रहने वाला है. पुलिस ने पूरे मामले में एफआईआर दर्ज कर आगे की कार्रवाई की है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>भीड़ की पिटाई से मौत पर क्या कहते हैं आंकड़े?</strong> इंडिया स्पेंड की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2010 से 2017 के बीच भीड़ द्वारा हिंसा या हत्या की 60 घटनाओं में 25 लोग मारे गए. 7 साल में भीड़ द्वारा हिंसा की 97% वारदातें तो 2014 के बाद हुईं. 25 जून 2017 तक की भीड़ द्वारा हमला करके मार दिए गए 25 लोगों में 21 मुस्लिम थे. लेकिन पिछले एक साल में भीड़ के हाथों मारे गए लोग किसी धर्म विशेष से नहीं हैं. यानी अब भीड़ धर्म,जाति नहीं देख रही, किसी को भी मार दे रही है.</p>
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