भ्रष्टाचार के खिलाफ नए कानून पर लगी संसद की मुहर, अब रिश्वत लेना ही नहीं देना भी अपराध
<p style="text-align: justify;"><strong>नई दिल्ली:</strong> भ्रष्टाचार निरोधक कानून में संशोधन पर आज संसद ने मुहर लगा दी. पिछले हफ़्ते राज्य सभा से पारित होने के बाद आज इसे लोकसभा ने भी पारित कर दिया. अब राष्ट्रपति की अनुमति मिलने के बाद जल्द ही नया कानून अमल में आ जाएगा. लंबे समय से अटके इस बिल में घूस लेने के साथ साथ घूस देने को भी अपराध बनाया गया है.</p> <p style="text-align: justify;">रिश्वत को लेकर नए कानून में कई प्रावधान किए गए हैं. मसलन केवल रिश्वत लेना ही अपराध नहीं बनाया गया है बल्कि रिश्वत लेने की अपेक्षा रखना या आग्रह करना भी अपराध की श्रेणी में ही रखा गया है. रिश्वत लेने के अपराध में सज़ा का प्रावधान कम से कम 6 महीने कैद से बढ़ाकर 3 साल कैद और अधिकतम 3 साल से बढ़ाकर 5 साल कैद कर दिया गया है.</p> <p style="text-align: justify;">इसी तरह पहली बार रिश्वत देने या उसकी पेशकश करने को भी अपराध बना दिया गया है. इसके लिए भी न्यूनतम सज़ा 3 साल की कैद और अधिकतम सज़ा 5 साल तक कि क़ैद निर्धारित की गई है. नए कानून की एक अहम बात ये है कि इसमें पहली बार भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों को निपटाने की समय सीमा निर्धारित की गई है. अप्रत्याशित मामलों को छोड़कर 2 साल के भीतर ऐसे मामलों का निपटारा करना अनिवार्य होगा. इसी तरह सरकारी अधिकारियों के ख़िलाफ़ जांच की अनुमति भी 3 महीने के भीतर देना अनिवार्य बनाया गया है.</p> <p style="text-align: justify;">हालांकि नए कानून में सेवानिवृत्त अधिकारियों के लिए बड़ी राहत दी गई है. अब ऐसे अधिकारियों के ख़िलाफ़ भी जांच के पहले जांच एजेंसियों को सरकार से इजाज़त लेनी होगी. कई सालों से इस बात की मांग हो रही थी कि किसी अधिकारी द्वारा लिया गया फ़ैसला ग़लत तो साबित होता है लेकिन उसकी नियत ख़राब नहीं है तो उसे परेशान नहीं किया जाए. इसी के मद्देनजर नए कानून में इस बात का प्रावधान किया गया है.</p>
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