Saturday 7 July 2018

इंसेफेलाइटिस से लड़ेगा ये एप, बगैर इंटरनेट कंट्रोल रूम को मिलेगी बीमार बच्‍चे की सूचना

<p style="text-align: justify;"><strong>गोरखपुर:</strong> इंसेफेलाइटिस से जंग लड़ने के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह से कमर कस चुका है. जिला प्रशासन ने ‘स्‍टाप जेई-एईएस’ और ‘आर.बी.एस.के.’ नाम के दो ऐसे ऐप लॉच किए हैं, जो इंसे‍फेलाइटिस से जंग लड़ने में पूरी तरह से कारगर होंगे.</p> <p style="text-align: justify;">ये ऐप एण्‍ड्रॉयड मोबाइल से डाउनलोड किए जा सकेंगे. लेकिन, बगैर इंटरनेट के भी ‘स्‍टाप जेई-एईएस’ ऐप के जरिए कंट्रोल रूम को एसएमएस से बीमार के बारे में सूचना मिल सकेगी. वहीं ‘आर.बी.एस.के.’ ऐप में ऐसे बच्‍चों से संबंधित डेटा उपलब्‍ध रहेगा. गांव की आशा और एएनएम को इसके लिए प्रशिक्षित किया जाएगा.</p> <p style="text-align: justify;">गोरखपुर के मंडलायुक्त अनिल कुमार ने जेई/एईएस के मामलों की रिपोर्टिंग के लिए एंड्राएड आधारित सूचना सेवा एप ‘स्टाप जेई/एईएस’ का लोकार्पण किया. लोकार्पण के दौरान उन्होंने कहा कि यह ऐप बिना इंटरनेट के काम करेगा. इस एप के माध्यम से गांव में कोई भी स्मार्टफोन यूज़र एप में दिये गए बटन को टच करने से ही सीधे एसएमएस भेजकर बुखार से पीड़ित किसी भी रोगी की जानकारी दे सकेगा.</p> <p style="text-align: justify;">एप का मैसेज सीधे नोडल अधिकारी/कन्ट्रोल रूम जाएगा. जहां से पीड़ित व्यक्ति के मोबाइल पर काल कर पते आदि के संबंध पूरी जानकारी करके तत्काल उस गांव के आशा और एएनएम को मौके पर चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के लिए भेजा जायेगा. जहां आशा और एएनएम मरीज की स्थिति को देखते हुए इलाज के लिए जिला चिकित्सालय और निकटवर्ती प्राथमिक स्वास्थ्‍य केन्द्र पर एम्बुलेंस से भेजने की व्‍यवस्‍था करेंगी.</p> <p style="text-align: justify;">जेई/एईएस के रोगियों के लिए शुरूआती 48 घंटे बहुत महत्वपूर्ण होते हैं. इसलिए इस ऐप के माध्यम से केन्द्रीयकृत और समेकित ट्रैकिंग भी होगी. इस एप के माध्यम से सीएमओ कार्यालय और प्रभारी चिकित्साधिकारियों को स्वचालित एलर्ट और अधिसूचनाएं मिलने से पीड़ित बच्चे की रिपोर्ट की लागातार निगरानी भी की जा सकेगी. मण्डलायुक्त ने एडी हेल्थ को निर्देश दिया कि एक सप्ताह तक गोरखपुर में इस एप का ट्रायल करने के बाद अच्छा कार्य होता है, तो इसे पूरे मण्डल में लागू किया जाएगा.</p> <p style="text-align: justify;">इस दौरान जिलाधिकारी के. विजयेन्द्र पाण्डियन ने एप के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस एप को गूगल प्ले स्टोर से किसी भी स्मार्टफोन में आसानी से डाउन लोड कर इंस्टाल किया जा सकता है. मण्डलायुक्त ने आर.बी.एस.के. के साफ्टवेयर का भी लोकार्पण किया. यह साफ्टवेयर चिकित्सा, शिक्षा एवं बाल विकास विभाग के समन्वय के लिए बनाया गया है. इससे यह पता चलेगा कि कुल कितने बच्चों को आर.बी.एस.के. की टीम ने रेफर किया है, जो सी.एच.सी./पी.एच.सी. पर भेजे गये हैं.</p> <p style="text-align: justify;">इसकी जिम्मेदारी आर.बी.एस.के. (राष्‍ट्रीय बाल स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम) की टीम की होगी. जो बच्चे जिला अस्पताल भेजे गये हैं, उनकी सूचना सीएमएस के पोर्टल पर दिखेगी. इससे बच्चों का समुचित इलाज हो सकेगा. एप लांच के दौरान अपर निदेशक स्वास्थ्य, मुख्य चिकित्साधिकारी, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी और अन्य अधिकारी गण उपस्थित रहे.</p>

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