Friday 8 June 2018

प्रणब स्पीच: कांग्रेस बोली- RSS को दिखाया आईना, संघ ने कहा- विविधता भारत की आत्मा

<p style="text-align: justify;"><strong>नागपुर:</strong> पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार शाम को राष्ट्रीय स्वयं सेवक (आरएसएस) के कार्यक्रम को संबोधित किया और यहीं से उन्होंने संघ को राष्ट्रवाद का पाठ पढ़ाया.. मुखर्जी मुखर्जी ने अपने भाषण की शुरुआत में ही साफ कर दिया कि वह राष्ट्र, राष्ट्रवाद और देशभक्ति पर बोलेंगे और तीनों ही मसलों पर प्रणब मुखर्जी ने खुलकर अपनी बातें कही. उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्रवाद का प्रवाह संविधान से होता है. ‘‘भारत की आत्मा बहुलतावाद और सहिष्णुता में बसती है.’’ प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस को परोक्ष तौर पर आगाह हुए कहा कि ‘धार्मिक मत और असहिष्णुता’ के माध्यम से भारत को परिभाषित करने का कोई भी प्रयास देश के अस्तित्व को कमजोर करेगा. उन्होंने अपने भाषण में पंडित जवाहर लाल नेहरू और महात्मा गांधी का भी जिक्र किया.</p> <p style="text-align: justify;">प्रणब की बातों से खुश कांग्रेस ने कहा कि उन्होंने संघ को 'सच का आईना' दिखाया और नरेंद्र मोदी सरकार को 'राजधर्म' की याद दिलाई. आपको बता दें की प्रणब मुखर्जी के आरएसएस के कार्यक्रम में जाने के फैसले पर बयान देने से कांग्रेस बचती नजर आ रही थी. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने  कहा, ''पूर्व राष्ट्रपति का आरएसएस मुख्यालय का दौरा बड़ी चर्चा का विषय बन गया था. देश की विविधता और बहुलता में विश्वास करने वाले चिंता व्यक्त कर रहे थे. लेकिन आज मुखर्जी ने आरएसएस को सच का आईना दिखाया.''</p> <p style="text-align: justify;">उन्होंने कहा, ''मुखर्जी ने नागपुर में आरएसएस मुख्यालय में आरएसएस को सच का आईना दिखाया है. उनको बहुलवाद, सहिष्णुता, धर्मनिरपेक्षता और समग्रता के बारे में पाठ पढ़ाया है.'' वहीं प्रणब मुखर्जी की बेटी और कांग्रेस नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने आरएसएस पर फेक न्यूज़ को लेकर निशाना साधते हुए कहा कि कहा कि उन्हें जिस बात का डर था वही हुआ.</p> <p style="text-align: justify;"><strong><a href="http://abpnews.abplive.in/uttar-pradesh/sp-goyal-ias-principal-secretary-uttar-pradesh-alleged-bribe-demand-882009">यूपी सीएम के प्रिंसिपल सेक्रेटरी पर घूस मांगने का आरोप लगाने वाले को जेल भेजने की तैयारी</a></strong></p> <p style="text-align: justify;"><strong>'जिसका डर था, वही हुआ'</strong> शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि जिस बात का उन्हें डर था और अपने पिता को जिस बारे में उन्होंने आगाह किया था, वही हुआ. उन्होंने आरोप लगाया कि जिसका डर था, बीजेपी/आरएसएस के ‘‘डर्टी ट्रिक्स डिपार्टमेंट’’ ने वही किया. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर छेड़छाड़ की गयी तस्वीरों में ऐसा नजर आ रहा है कि पूर्व राष्ट्रपति संघ नेताओं और कार्यकर्ताओं की तरह अभिवादन कर रहे हैं. शर्मिष्ठा मुखर्जी ने उनके आरएसएस के कार्यक्रम में जाने का विरोध किया था और ट्विटर पर अपने पोस्ट के जरिये उन्होंने अपनी नाखुशी भी जाहिर की थी.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>मुखर्जी के भाषण से क्या खुश हुआ संघ?</strong> आरएसएस ने संघ मुख्यालय में मुखर्जी के भाषण पर कहा कि उन्होंने देश के गौरवशाली इतिहास की याद दिलायी और उन्होंने समावेशी, बहुलतावाद और विविधता में एकता को ‘भारत की आत्मा’ बताया. आरएसएस प्रवक्ता अरुण कुमार ने कहा कि मुखर्जी के भाषण ने राष्ट्र के गौरवशाली इतिहास की याद दिलायी ... देश की 5,000 साल पुरानी सांस्कृतिक विरासत की याद दिलायी. हमारी राज्य प्रणाली भले ही बदल सकती है लेकिन हमारे मूल्य वही रहेंगे.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>हिंसा बढ़ रही है</strong> <a href="http://abpnews.abplive.in/topic/pranab-mukherjee"><strong>प्रणब मुखर्जी</strong></a> ने कहा, ''प्रति दिन हम अपने आसपास बढ़ी हुई हिंसा देखते हैं. इस हिंसा के मूल में भय , अविश्वास और अंधकार है.’’पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि हमें अपने सार्वजनिक विमर्श को हिंसा से मुक्त करना होगा. साथ ही उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र के रूप में हमें शांति , सौहार्द्र और प्रसन्नता की ओर बढ़ना होगा. मुखर्जी ने कहा कि हमारे राष्ट्र को धर्म , हठधर्मिता या असहिष्णुता के माध्यम से परिभाषित करने का कोई भी प्रयास केवल हमारे अस्तित्व को ही कमजोर करेगा. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे मुखर्जी ने संघ के स्वयंसेवकों के ट्रेनिंग के समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात नागपुर के रेशमबाग में स्थित आरएसएस मुख्यालय में कही.</p> <code><iframe class="vidfyVideo" style="border: 0px;" src="https://ift.tt/2kSGAho" width="631" height="381" scrolling="no"></iframe>.</code> <p style="text-align: justify;"><strong>मुखर्जी ने नेहरू को किया याद याद</strong> उन्होंने नेहरू की किताब डिस्कवरी ऑफ इंडिया का जिक्र करते हुए कहा, ''नफरत और असहिष्णुता से हमारी राष्ट्रीय पहचान खतरे में पड़ेगी. जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि भारतीय राष्ट्रवाद में हर तरह की विविधता के लिए जगह है. भारत के राष्ट्रवाद में सारे लोग समाहित हैं. इसमें जाति, मजहब, नस्ल और भाषा के आधार पर कोई भेद नहीं है.''</p> <p style="text-align: justify;">उन्होंने प्राचीन भारत से लेकर देश के स्वतंत्रता आंदोलत तक के इतिहास का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारा राष्ट्रवाद ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ और ‘ सर्वे भवन्तु सुखिन :..’ जैसे विचारों पर आधारित है. मुखर्जी ने राष्ट्र की अवधारणा को लेकर सुरेन्द्र नाथ बनर्जी और बालगंगाधर तिलक के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारा राष्ट्रवाद किसी क्षेत्र , भाषा या धर्म विशेष के साथ बंधा हुआ नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारे लिए लोकतंत्र सबसे महत्वपूर्ण मार्गदशर्क है.</p> <p style="text-align: justify;"> <strong>'सभी भारत माता की संतानें' </strong>पूर्व राष्ट्रपति के संबोधन से पहले संघ के <a href="http://abpnews.abplive.in/india-news/mohan-bhagwat-on-rss-invitation-for-pranab-mukherjee-said-controversy-is-useless-881858"><strong>सर संघचालक मोहन भागवत</strong></a> ने कहा कि आरएसएस के कार्यक्रम में मुखर्जी के भाग लेने को लेकर छिड़ी बहस ‘ निरर्थक ’ है और उनके संगठन में कोई भी व्यक्ति बाहरी नहीं है. भागवत ने कहा कि इस कार्यक्रम के बाद भी मुखर्जी वही रहेंगे जो वह हैं और संघ वही रहेगा जो वह है. उन्होंने कहा कि उनका संगठन पूरे समाज को एकजुट करना चाहता है और उसके लिए कोई बाहरी नहीं है. उन्होंने कहा कि लोगों के भिन्न मत हो सकते हैं लेकिन सभी भारत माता की संतानें हैं.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>भारत माता के महान सपूत थे हेडगेवार </strong>इससे पहले मुखर्जी जब संघ मुख्यालय आये तो उन्होंने संघ के संस्थापक केशव बलिराम <a href="http://abpnews.abplive.in/india-news/pranab-mukherjee-reaches-to-patrimonial-house-of-rss-founder-hedgewar-881642"><strong>हेडगेवार को ‘ भारत माता का महान सपूत ’ बताया</strong></a>. हेडगेवार ने 27 सितंबर 1925 को विजयदशमी के दिन आरएसएस की स्थापना की थी. मुखर्जी ने अपने संबोधन से पहले संघ की आगंतुक पुस्तिका में लिखा , ‘‘ मैं भारत माता के एक महान सपूत के प्रति अपनी श्रद्धा और  सम्मान व्यक्त करने यहां आया हूं.’’</p>

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