Thursday 14 June 2018

Ramzan 2018: जून की तपिश में 91 बीमारों की देखभाल कर रहा है ये रोज़ेदार

छोटा था तब रमजान के मायने ही ईदी हुआ करती. ये पहली ईद है, जब मुझे किसी की ईदी का इंतजार नहीं. गांव की बेतरह याद आती है. घर जाने का इरादा करता हूं कि तभी साथ रह रहे बेघर-बीमार चेहरे याद आ जाते हैं. इरादा मुल्तवी कर फिर से उनकी तीमारदारी में जुट जाता हूं. मेरी कोशिशों से किसी की तकलीफें कुछ कम हो सकें, यही मेरी ईद होगी. और उनकी खुशी मेरी ईदी.

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