Sunday 24 June 2018

हवाई अड्डे पर अब नहीं खोएगा आपका बैग, युवा वैज्ञानिकों ने पेश किये समाधान

<strong>पिलानी:</strong> विमान से उतरने के बाद यात्रियों की सबसे बड़ी चिंता अपने सामान को लेकर होती है. यात्रियों की यह चिंता जायज भी है क्योंकि देश के 449 हवाई अड्डों पर हर दिन 128 बैग इधर उधर हो जाते हैं. इस मामले में कुछ युवा वैज्ञानिकों ने इसका समाधान पेश किया है. इस साल स्‍मार्ट इंडिया हैकाथॉन की स्‍मार्ट कम्‍युनिकेशन श्रेणी के फाइनल में पहुंची 13 टीमों में तीन ऐसे दलों को शामिल किया गया था, जिन्‍होंने इस समस्या के समाधान के मॉडल पेश किये. पिलानी स्‍थित वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर)- सीरी में आयोजित स्‍मार्ट कम्‍युनिकेशन वर्ग के ग्रैंड फिनाले में नई दिल्‍ली के भारती विद्यापीठ कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, नवी मुंबई के एसआईईएस ग्रेजुएट स्‍कूल ऑफ टेक्‍नोलॉजी और बेंगलुरु के आर वी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग की छह-छह सदस्‍यीय टीमों ने इस समस्‍या के समाधान के लिए अपने हार्डवेयर उत्‍पाद के प्रोटोटाइप प्रस्‍तुत किए. इनमें से बेंगलुरु और नई दिल्‍ली की टीमों ने प्रतियोगिता में दूसरा और तीसरा स्‍थान हासिल किया. पुडुचेरी सरकार ने इस साल के स्‍मार्ट इंडिया हैकाथॉन में इस समस्‍या को रखा था. बेंगलुरु की टीम का नेतृत्‍व सुप्रीत वाई एस ने किया. इस टीम ने अपने उत्‍पाद में पैसिव आरएफआईडी (रेडियो फ्रिक्‍वेंसी आइडेंटिफिकेशन) टैग का इस्‍तेमाल किया है. इस टैग के जरिए बैग की वास्‍तविक स्‍थिति पर नजर रखी जा सकेगी और बैगेज खोने की स्‍थिति में इस टैग की मदद से उसे आसानी से ढूंढा जा सकेगा. साथ ही यात्री अपने स्‍मार्टफोन की मदद से बैग की वास्‍तविक स्‍थिति पर नजर रख सकेंगे. इसके अलावा यात्रियों को बैगेज की स्‍थिति के बारे में एसएमएस के जरिये भी सूचना प्राप्‍त होगी. सुप्रीत ने बताया कि यह टैग बहुत किफायती है और यात्री को इसके लिए महज 20 से 30 रुपये खर्च करने होंगे. उन्होंने बताया कि इन टैग को फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है और यात्री चाहे तो गंतव्‍य तक पहुंचने के बाद इस टैग को अपने साथ घर ले जा सकेंगे. वे अपनी मूल्‍यवान वस्‍तुओं और पालतू पशुओं को इस टैग के जरिये ट्रैक कर सकेंगे. हर्षिल बंसल की अगुवाई वाली दिल्‍ली की टीम ने भी कुछ इसी तरह का प्रोटोटाइप पेश किया. दिल्ली टीम की अगुवाई कर रहे बंसल ने बताया कि उनके मॉडल की खासियत यह है कि इसमें यात्रियों के साथ-साथ भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को भी बैगेज की वास्तविक स्थिति के बारे में जानकारी दी जाएगी. उन्होंने बताया कि उनके द्वारा प्रस्तावित मॉडल में बारकोड की पुरानी व्यवस्था को हटाने की आवश्यकता नहीं होगी और उनका टैग पहले की प्रणाली को बेहतर बनाएगा. इन दोनों टीमों द्वारा तैयार किया गया हरेक टैग 10-12 मीटर तक काम करेगा. दोनों टीमों ने बताया कि उन्होंने पैसिव आरएफआईडी का इस्तेमाल किया है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक नहीं है. बता दें कि इस साल 29 मार्च को नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल- 3 पर सैकडों यात्रियों को ‘बैगेज क्लियरेंस’ में देरी का सामना करना पड़ा, जिसके चलते लंबी-लंबी कतारें लग गईं और उड़ानों में देर हुई. बीजेपी की लोकसभा सदस्य हेमा मालिनी भी उन यात्रियों में शामिल थीं जिनका बैग अटक गया था. ऐसी खबरें मिली थीं कि समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव का बैग भी अटक गया था. रेल मंत्री पीयूष गोयल भी मुंबई में एक कार्यक्रम में देरी से पहुंचे. सूत्रों ने बताया कि विमान के देरी से उड़ान भरने के चलते ऐसा हुआ. भारत में कुल 449 हवाई अड्डे हैं और एक अनुमान के मुताबिक 128 बैग प्रतिदिन गलत हाथों में चले जाते हैं. इससे यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ता है और उन्हें देरी होती है. सीएसआईआर-सीरी के निदेशक शांतनु चौधुरी ने इन प्रोटोटाइप के व्यावसायिक संस्करण लांच होने पर इस समस्या के समाधान की उम्मीद जताई है.

from home https://ift.tt/2lwd4hZ

Labels: ,

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home